यूपीएससी की प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता अर्जित करने का मार्ग विविध भाषाओं के गहन ज्ञान से होकर गुजरता है। यह कहानी है मेरठ के निशांत जैन की, जिन्होंने हिंदी भाषा को अपनी ताकत बनाकर यूपीएससी परीक्षा में 13वां स्थान हासिल किया। निशांत की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई थी, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
शिक्षा के प्रारंभिक चरण से ही निशांत अध्ययन में अग्रणी रहे और 12वीं कक्षा में अपने जिले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। इस उपलब्धि ने उन्हें यूपीएससी की ओर अग्रसर किया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने कला विषय का चयन किया, क्योंकि उस समय यह माना जाता था कि कला विषय से यूपीएससी में सफलता की संभावनाएं अधिक होती हैं।
निशांत ने अपनी पढ़ाई को कभी नौकरी के आड़े नहीं आने दिया। हाईस्कूल के बाद उन्हें सरकारी नौकरी मिली, लेकिन उनका लक्ष्य आईएएस बनने का था। उन्होंने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई और यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। उनके पहले दो प्रयास असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की।
निशांत का मानना है कि भले ही हिंदी उनकी सफलता की कुंजी रही हो, अंग्रेजी का ज्ञान भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने अनुभव किया कि अध्ययन सामग्री का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेजी में होता है, और इस भाषा की समझ बिना परीक्षा को पार करना कठिन होता।
यूपीएससी के अन्य उम्मीदवारों के लिए निशांत की सलाह है कि सफलता के लिए निरंतर प्रयास और एक अच्छी रणनीति जरूरी है। उन्होंने बल दिया कि जिस भाषा में आपकी अच्छी पकड़ हो, उसी में परीक्षा का सामना करें, लेकिन साथ ही साथ भाषाई गलतियों से बचने की कोशिश करें। निशांत की यह प्रेरणादायक यात्रा साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और सही दिशा में किए गए प्रयासों से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।