यूपीएससी की चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करना हर परीक्षार्थी का सपना होता है। निखिल थवल ने इस सपने को साल 2017 में साकार किया, जब उन्होंने बिना किसी कोचिंग की मदद के, केवल स्वाध्याय पर भरोसा करते हुए यूपीएससी सिविल सेवा और भारतीय वन सेवा दोनों परीक्षाएँ एक ही साल में पास कीं। इस अद्भुत उपलब्धि में उनका वैकल्पिक विषय बॉटनी था। निखिल की इस अनोखी यात्रा से हमें क्या सीखने को मिलता है, आइए जानते हैं।

सिलेबस की गहराई से समझ

निखिल की सफलता की पहली सीढ़ी सिलेबस की गहराई से समझ थी। उन्होंने सिलेबस के हर पहलू का गहन अध्ययन किया और इस बात का विशेष ध्यान रखा कि प्रत्येक विषय से किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इस तरह की गहराई से समझ उन्हें अपनी तैयारी को सही दिशा में ले जाने में मदद करती थी।

निखिल थवल

पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अध्ययन

निखिल ने पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का भी गहन अध्ययन किया, जिससे उन्हें परीक्षा पैटर्न और प्रश्नों की प्रकृति की समझ मिली। इससे उन्हें अपनी तैयारी को और अधिक लक्षित बनाने में मदद मिली।

डायग्राम्स का महत्व

विशेष रूप से बॉटनी जैसे विषय में, निखिल ने डायग्राम्स के महत्व को समझा और उन्हें अपने उत्तरों में शामिल किया। यह तकनीक उनके उत्तरों को और अधिक आकर्षक और समझने में आसान बनाती थी।

स्व-अध्ययन पर जोर

निखिल की सफलता का एक बड़ा हिस्सा उनके स्व-अध्ययन के प्रति समर्पण था। उन्होंने बिना किसी कोचिंग की सहायता के, अपनी तैयारी को अंजाम दिया। इससे उन्हें अपनी गति से और अपनी शर्तों पर पढ़ाई करने की स्वतंत्रता मिली।

विषय का चयन

निखिल की सलाह है कि विषय का चयन अपनी रुचि और ज्ञान के आधार पर करें, न कि इस आधार पर कि दूसरे क्या कहते हैं। अगर आपको किसी विषय में गहरी दिलचस्पी है, तो उसी को अपना वैकल्पिक विषय चुनें।

निखिल थवल की यह यात्रा हमें दिखाती है कि स्व-अध्ययन और समर्पण के साथ, यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षाओं में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी यात्रा उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो बिना किसी बाहरी सहायता के अपने सपनों की ओर बढ़ रहे हैं।

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