बिहार के छोटे गांव सेवरही के निवासी मनीष कुमार ने अपने दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम से साल 2017 की संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में उल्लेखनीय 84वीं रैंक हासिल कर अपने सपनों को साकार किया। मनीष के लिए यह सफर केवल उनके अथक परिश्रम का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उनके अडिग विश्वास और आत्म-विश्वास की भी कहानी है। उनका मानना है कि सफलता किसी की स्थिति या सुविधाओं पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह व्यक्ति के अपने प्रयासों पर निर्भर करती है।
मनीष की शिक्षा यात्रा हमेशा से ही प्रभावशाली रही है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद, उन्होंने इंजीनियरिंग की ओर रुख किया और अपने कॉलेज में शीर्ष स्थान पर रहे। उनकी प्रतिभा और मेहनत का ही परिणाम था कि उन्हें कॉलेज से ही BHEL में एक प्रतिष्ठित नौकरी मिल गई। लेकिन मनीष के लिए यह केवल एक शुरुआत थी। उनके मन में यूपीएससी की दृढ़ इच्छा ने उन्हें इस क्षेत्र में अपने करियर की दिशा बदलने के लिए प्रेरित किया।
मनीष ने अपनी पहली ही कोशिश में भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में चयनित होकर अपनी क्षमता का प्रमाण दिया। इसके बाद, उनकी लगन और समर्पण ने उन्हें आईपीएस के पद तक पहुंचाया। और फिर, तीसरे प्रयास में, वह अपनी अंतिम मंजिल तक पहुंचे और आईएएस के रूप में अपने सपने को साकार किया।
मनीष की सफलता के पीछे उनकी रणनीति भी अहम रही है। उन्होंने हर प्रयास में मैकेनिकल इंजीनियरिंग को अपना वैकल्पिक विषय चुना और इसकी गहराई से तैयारी की। उनका मानना है कि सफलता के लिए सही संसाधनों का चयन, सिलेबस की गहराई से समझ, और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अध्ययन आवश्यक है।
मनीष ने अपनी तैयारी के दौरान स्वयं अध्ययन पर जोर दिया और नोट्स बनाने, परीक्षा के पैटर्न को समझने, और नियमित रूप से प्रैक्टिस टेस्ट देने की महत्वपूर्णता को समझाया। उनकी कड़ी मेहनत, लगन, और अध्ययन की रणनीति ने उन्हें उनके सपने को साकार करने में मदद की। मनीष कुमार की यह यात्रा न केवल उनके लिए बल्कि उनके परिवार और गांव के लिए भी एक गौरव का क्षण है।