अतिराग चपलोत, जिन्हें यूपीएससी परीक्षा में दो बार दो-दो अंकों से फेल होना पड़ा, ने अपने तैरी और उत्साह के साथ तीसरे प्रयास में उस परीक्षा का परीक्षा चयन किया और 2018 में 15वीं रैंक हासिल की। यह उनकी सफलता की कहानी है, जो उनकी मेहनत, धैर्य और लगन का परिणाम है।

प्रथम चरण में असफलता:

2016 में, जब अतिराग ने अपना पहला प्रयास किया, तब उन्हें अपनी उत्सुकता का सामना करना पड़ा। उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में दो अंकों से चयन नहीं प्राप्त किया। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में भी प्रयास किया, लेकिन फिर भी सफलता का संघर्ष रहा। तीसरे प्रयास में भी, जब उन्होंने मेहनत और समर्पण से आगे बढ़ा, तो उन्हें सफलता मिली।

अतिराग चपलोत

ग़लतियों से सिखना:

अपनी पिछली गलतियों से सीखते हुए, अतिराग ने नई योजना बनाई और नई दिशा चुनी। उन्होंने अपने पढ़ाई की दिशा को संशोधित किया, मॉक परीक्षण का महत्व समझा और सिलेबस को ध्यान से अध्ययन किया।

कोचिंग का अभाव:

अतिराग का अद्वितीय अनुभव इस बात को साबित करता है कि वह अपने आप को तैयार करने में समर्थ हैं। उन्होंने किसी कोचिंग क्लास का सहारा नहीं लिया और अपनी तैयारी को स्वतंत्र रूप से संभाला।

अतिराग चपलोत की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपनी गलतियों से सीखें, नई योजना बनाएं, और मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ें। अतिराग की उत्कृष्टता की इस अद्भुत उदाहरण से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं, बस हमें निरंतर मेहनत करने की आवश्यकता है।

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