महाराष्ट्र के माधव गिट्टे साल 2020 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी यहां तक पहुंचने की जर्नी तमाम संघर्षों से भरी हुई है। किसान से आईएएस बनने तक माधव ने क्या कुछ नहीं सहा। आज हम जानेंगे माधव के इस कठिन सफर के बारे में।

गरीबी में बीता बचपन

माधव के परिवार में माता-पिता के अलावा कुल पांच भाई बहन थे। माता-पिता अशिक्षित थे और कुछ जमीन थी जिसमें खेती करते थे। इससे कभी भी उनका खर्च पूरा नहीं होता था। माधव और बाकी भाई-बहन भी यथासंभव खेत में मां-बाप की मदद करते थे। कभी अपने खेतों में काम करते थे तो कभी दूसरों के। इस दौरान माधव की मां को कैंसर हो गया और उनके देहांत के बाद परिवार और भी मुश्किल में आ गया।

माधव गिट्टे

साइकिल से 22 किमी का सफर

माधव को स्कूल जाने के लिए हर दिन 22 किमी का सफर करना पड़ता था। धीरे-धीरे उनकी पढ़ाई पूरी होती गई, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति अब भी मजबूत नहीं थी।

सब कुछ गिरवी रख दिया

माधव ने अपने सपनों के लिए सब कुछ गिरवी रख दिया। उन्होंने पढ़ाई की, खेत में काम किया, और अन्य कठिनाईयों का सामना किया। उन्होंने नौकरी भी की, लेकिन अपने सपनों से हमेशा जुड़े रहे।

नौकरी से बदले दिन

जब उन्हें आईएएस की सपने देखने का मौका मिला, तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी मेहनत और जिद के साथ परीक्षा की तैयारी की। उनकी मेहनत और अदम्य संघर्ष ने उन्हें आईएएस अधिकारी बना दिया।

माधव गिट्टे की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत, संघर्ष, और निरंतर प्रयास का होना जरूरी है। वहाँ कोई भी कठिनाई आपकी मंजिल को हासिल करने का रास्ता नहीं रोक सकती। आपके सपनों की प्राप्ति के लिए आपको तत्परता और निरंतरता की आवश्यकता होती है।

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