शुभम बंसल की IAS की यात्रा एक अद्वितीय और प्रेरणादायक कहानी है, जो सबूत देती है कि मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। एक बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचकर अगली बार प्री में भी सेलेक्ट न होने वाले शुभम का कांफिडेंस एकदम खत्म हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

असफलता से सीखना

शुभम की यूपीएससी की तैयारी की शुरुआत बेहद प्रेरणादायक थी, लेकिन उन्हें प्रथम प्रयास में सीधे चयन नहीं मिला। दूसरी बार प्री पास न होने पर उनका विश्वास हिल गया, लेकिन वे हार नहीं माने और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हुए।

Shubham Bansal

परिवार और मित्रों का साथ

उनके परिवार और मित्रों का साथ ने उन्हें मजबूती और साहस दिया। उन्होंने अपनी कमियों पर काम किया और नए उत्साह से तीसरे प्रयास की तैयारी शुरू की।

सफलता का सिर्फ एक ही रास्ता: मेहनत

शुभम ने हमेशा यह सिखाया कि सफलता का सिर्फ एक ही रास्ता है – मेहनत। उन्होंने कभी कोई क्लासरूम कोचिंग नहीं ली और हमेशा सेल्फ स्टडी की।

सलाह

शुभम की सलाह है कि प्री परीक्षा को लेकर अधिक आत्मविश्वास न दिखाएं, पेपर का एनालिसिस करें, टेस्ट सीरीज दें, और हर प्रयास में सीमित स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करें।

निष्ठा और संघर्ष का महत्व

शुभम की कहानी हमें यह सिखाती है कि निष्ठा और संघर्ष का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब तक हम अपने सपनों की ओर पूरी श्रद्धा और प्रतिबद्धता से नहीं बढ़ते, हम कभी भी सफल नहीं हो सकते।

शुभम बंसल की यह कहानी हमें यह बताती है कि असफलता सिर्फ एक पथ है, सफलता की ओर जाने के लिए हमें उसे एक नई दिशा देने की क्षमता रखनी चाहिए। उन्होंने अपने असफल प्रयासों से सीखा और नये जोश और उत्साह से अपने सपनों को पूरा किया। इसी उत्साह और मेहनत के साथ हर कोई अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है।

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