भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की परीक्षा एक ऐसा सफर है जो अपने अद्भुत और प्रेरणादायक किस्सों से भरा हुआ है। इस सफर का एक अनूठा और प्रेरणास्पद चरित्र अपराजिता है, जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और अथक मेहनत से एक एवरेज स्टूडेंट की श्रेणी से निकलकर आईएएस ऑफिसर बनने का सपना साकार किया।
अपराजिता की कहानी में एक ऐसा अनूठा परिप्रेक्ष्य है जो उनके नाना-नानी के द्वारा रखे गए नाम “अपराजिता” के साथ जुड़ा है। इस नाम का अर्थ था कि वह कभी भी पराजित नहीं होगी। बचपन से ही अपराजिता की शारीरिक कमजोरी के कारण उन्हें सामान्य कामों में भी समस्याएं आती थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और हमेशा अपने लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाया।
अपने बचपन में ही अपराजिता को माता-पिता के साथ नहीं रहना पड़ा और उन्हें नाना-नानी के पास छोड़ दिया गया। इसके बावजूद, उन्होंने अपने सपने को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और मेडिकल की तैयारी की। अपने दृढ़ संकल्प और लगन से, उन्होंने एमबीबीएस डिग्री हासिल की, जो किसी भी औसत छात्र के लिए एक बड़ी सफलता होती है।
अपराजिता का सफर इसलिए अत्यधिक प्रेरणादायक है क्योंकि उन्होंने अपने बचपन में की गई हैंडराइटिंग और सामान्यत: बीच की स्थिति के बावजूद, अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता और संघर्ष का सामना किया। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी हाइड्राइटिंग को सुधारा और अंततः अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
अपने सफलता के पथ पर, अपराजिता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें परीक्षा की तैयारी के बीच चिकनगुनिया की समस्या का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी संघर्ष और साहस से यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अपने सपने को साकार किया।
अपराजिता की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी परिस्थिति में, अगर हमारे संकल्प और मेहनत सत्य हैं, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। उनका सफर हमें यह बताता है कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है, और यदि हमारा संकल्प अटल है, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अपराजिता की इस सफलता की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हार नहीं, बल्कि जीत हमारी होती है, जो हम अपने संकल्प, मेहनत और विश्वास से हासिल करते हैं।