2019 के IAS टॉपर दिलीप कुमार ने हिंदी भाषा में साक्षात्कार देने का रास्ता चुनकर उन कैंडिडेट्स को प्रेरित किया है जो इस मामले में शंका में हैं। दिलीप कुमार ने IAS परीक्षा में अंग्रेजी भाषा के साक्षात्कार में दो बार नाकामी का सामना किया, लेकिन तीसरी बार हिंदी में साक्षात्कार देने के बाद उन्हें टॉपर का खिताब प्राप्त हुआ।
दिलीप कुमार की सफलता का राज था उनका संवाद कौशल। पहले दो साक्षात्कारों में अंग्रेजी में जवाब देने के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन जब उन्होंने अंग्रेजी की जगह हिंदी में साक्षात्कार दिया, तो उन्हें आईएएस परीक्षा में 73वीं रैंक मिली।
उन्होंने बताया कि साक्षात्कार के दौरान भाषा का चयन आपकी साक्षात्कार कौशल में कोई असर नहीं डालता है। आपको उस भाषा का चयन करना चाहिए जिसमें आपको सबसे अधिक आत्मनिर्भर महसूस होता है और आप अपने विचारों को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी साझा किया कि उनकी स्कूली शिक्षा हिंदी मीडियम में हुई थी और उनकी आम बोलचाल की भाषा भी हिंदी थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें अंग्रेजी में अच्छे से व्यक्ति नहीं कर पाते थे।
दिलीप कुमार ने अपने अनुभव के माध्यम से दूसरे कैंडिडेट्स को यह सलाह दी कि साक्षात्कार के दौरान झूठ बोलने से बचें। वहां बैठे अनुभवी लोग तुरंत पता लगा लेते हैं कि आप झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आपको बैलेंस्ड एटीट्यूड बनाए रखना चाहिए और हिंदी को लेकर कोई भी हीन भावना न लाएं।
दिलीप कुमार की इस सफलता की कहानी दिखाती है कि सफलता के लिए आपके पास जितना ज्ञान हो, उतना ही महत्वपूर्ण है आपका व्यक्तित्व।