जीवन में कभी-कभी हमें महत्वपूर्ण पथ पर कई बार असफल होना पड़ता है, लेकिन असफलता के बावजूद भी अपने सपनों को पूरा करने का संकल्प नहीं छोड़ना चाहिए। यही सिखाती है हमें वैभव छाबड़ा की यह कहानी, जो अपने आईएएस सपने को पूरा करने के लिए अनवरत मेहनत करते रहे, चाहे उन्हें 8 बार भी असफल होने का मुकाबला करना पड़ा हो।
आईएएस क्रैकर: वैभव छाबड़ा
वैभव छाबड़ा एक साधारण छात्र थे, जिनकी पढ़ाई में कोई खास रुचि नहीं थी। उन्हें पढ़ने में मन नहीं लगता था, और परिणामस्वरूप वे अपने कक्षाओं में औसत मार्क्स ही प्राप्त करते थे। लेकिन वैभव की सबसे बड़ी गुणवत्ता यह थी कि वे कभी भी हार नहीं मानते थे।
मन की आईएएस बनाने की चाह
वैभव ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण चरण पर एक निर्धारित निर्देशिका बनाई और उसमें स्पष्टतः अपने लक्ष्य को पास करने का संकल्प लिया। वे पहले पड़ाई के कोचिंग संस्थान में जाते रहे, फिर अपने उद्देश्य को पास करने के लिए अनवरत मेहनत करते रहे।
असफलता के बाद भी नहीं छोड़ी उम्मीद
वैभव को अपने सपने को पूरा करने के लिए 8 बार भी असफल होने का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी अदम्य संघर्ष भावना ने उन्हें आखिरकार उनके लक्ष्य तक पहुंचने में सफल बना दिया।
सफलता की ऊंचाइयों का सामना
आखिरकार, वैभव छाबड़ा ने अपने अथक परिश्रम और लगन के फलस्वरूप आईईएस परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी मेहनत और आत्मविश्वास को कभी न छोड़ें। वे एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं जो हमें यह बताते हैं कि सही दिशा में प्रयास और अथक मेहनत से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।