जब पूज्य प्रियदर्शनी ने दूसरे अटेम्पट में साक्षात्कार तक पहुंचने के बाद भी चयनित नहीं हुईं, तो वे काफी निराश हो गईं थीं। अगले अटेम्पट में प्री-परीक्षा तक नहीं क्लियर कर पाईं। लेकिन इस निराशा के बावजूद, पूज्य ने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास किया।
पूज्य प्रियदर्शनी, जो 2018 में 11वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास कर चुकी हैं, लाइफ गोल्स को लेकर बहुत अधिक इमोशनल होने में यकीन नहीं करतीं। उनका अनूठा उत्साह और संघर्ष उन्हें सफलता की ओर ले जाने का साहस देता है।
पूज्य ने हमेशा सपना देखा था कि वह यूपीएससी परीक्षा पास करें, लेकिन उन्हें हमेशा यह भी मालूम था कि इस परीक्षा में जबरदस्त कंपटीशन है और यह कठिन है। इसलिए, उन्होंने नौकरी के साथ साथ यूपीएससी की तैयारी की। इस सफर में उन्हें कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने कभी निराश नहीं होकर अपने सपने की ओर बढ़ने का इरादा नहीं तोड़ा। उन्होंने हमेशा बिना प्लान-बी के काम किया और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमेशा मेहनत की।
पूज्य की प्रेरणा उनके माता-पिता से भी मिली, जो स्वयं सिविल सेवा में हैं। उन्होंने अपने बचपन से देखा कि कैसे यह क्षेत्र लोगों को प्रभावित करता है और उनकी जिंदगी में कैसे बदलाव लाता है।
पूज्य की सलाह के अनुसार, इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि लगातार मोटिवेशन लेना और अपनी गलतियों से सीखना भी जरूरी है।
पूज्य की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हार और असफलता के बावजूद, अगर आपका इरादा मजबूत है और आप मेहनत करते रहते हैं, तो एक दिन जरूर सफलता मिलती है। उन्होंने दिखाया कि जब आप खोए हुए सपनों को पुनः पाने के लिए प्रयासरत होते हैं, तो उन्हें प्राप्त करने में सफलता मिलती है।