साल 2018 के टॉपर जीएसएस प्रवीणचंद ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान भी नौकरी नहीं छोड़ी। 64वीं रैंक के साथ टॉप करने वाले प्रवीणचंद ने साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने कैसे नौकरी के साथ तैयारी के लिए समय निकाला।
आंध्र प्रदेश के जीएसएस प्रवीणचंद ने साल 2018 में अपने तीसरे अटेम्पट में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 64वीं रैंक के साथ टॉप किया। प्रवीणचंद इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं और उन्होंने अपना ग्रेजुएशन आईआईटी पटना से पूरा किया है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने एक टेक कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी ज्वॉइन कर ली। इसी दौरान उनके मन में यूपीएससी परीक्षा का ख्याल आया।
दो साल नौकरी करने के बाद प्रवीणचंद ने एक साल के लिए रिजाइन किया और अपना पहला अटेम्पट दिया। इस अटेम्पट में वे सफल नहीं हुए। प्रवीण की कुछ आर्थिक मजबूरियां थी जिनके कारण वे नौकरी छोड़कर तैयारी करना एफॉर्ड नहीं कर पा रहे थे।
एक साल का ब्रेक तो नौकरी से उन्होंने लिया लेकिन उसके बाद उन्हें वापस जॉब ज्वॉइन करनी पड़ी। हालांकि जॉब के बावजूद आईएएस बनने का अपना सपना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा और कोई विकल्प न होने के कारण नौकरी के साथ ही तैयारी करने लगे।
प्रवीण कहते हैं कि उन्हें सुबह चार बजे उठकर पढ़ाई करने का आदत था। उनके अनुसार, वे सुबह दस से साढ़े दस के बीच ऑफिस पहुंचते थे और चार बजे उठ जाते थे ताकि साढ़े आठ बजे तक पढ़ाई कर सकें।
प्रवीण ने अपने वीकेंड का भी भरपूर इस्तेमाल किया और इन दो दिनों में जमकर पढ़ाई की। उन्होंने बताया कि दो दिनों में नौकरी नहीं होने के कारण पूरा समय पढ़ाई में ही निवेश किया जाता था।
उन्होंने यह भी साझा किया कि वे किसी भी समय जब भी संभावना मिलती थी, वे नोट्स रिवाइज करते थे या करेंट अफेयर्स को सुनते थे। उन्होंने यह समझाया कि उन्हें कम्यूट करते समय भी अपने नोट्स की पुनरावलोकन करने का समय मिलता था।
प्रवीण कहते हैं कि तैयारी में जुटे रहने वालों को कुछ अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है, लेकिन नौकरी के साथ तैयारी करने वालों को भी समय का उपयोग करना होता है।
इस अनुभव से स्पष्ट होता है कि नौकरी के साथ भी यूपीएससी की तैयारी की जा सकती है। इसके लिए निरंतर प्रयत्न और अद्यतन रहने की आवश्यकता होती है।