साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा की टॉपर गीतांजलि शर्मा की सफलता का रास्ता थोड़ा अलग और अनूठा था। उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। गीतांजलि ने साल 2019 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल किया था, और यह उनका तीसरा अटेम्पट था।
गीतांजलि ने अपने ग्रेजुएशन के बाद ही यूपीएससी की तैयारी करने का निर्णय लिया था। हिंदू कॉलेज, दिल्ली से ग्रेजुएशन के बाद, गीतांजलि ने पहली बार 2016 में यूपीएससी की परीक्षा में भाग लिया, लेकिन उन्हें प्री परीक्षा में सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने एक साल का ब्रेक लिया और कोचिंग ज्वाइन की।
पहले अटेम्पट में, गीतांजलि की तैयारी ठीक नहीं थी और उन्हें सफलता नहीं मिली। दूसरे अटेम्पट में, वे साक्षात्कार तक पहुंचीं, लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया। उन्होंने इस अटेम्पट के दौरान कहा कि उनके प्री, मेन्स, और साक्षात्कार में अंक ठीक-ठाक ही थे, लेकिन वे अपने लक्ष्य से संतुष्ट नहीं थीं।
एक साक्षात्कार में, गीतांजलि ने अपने दृष्टिकोण को व्यक्त किया, कहते हुए कि बड़े सपने देखना महत्वपूर्ण है, और जब हम बड़े सपने देखते हैं, तो हमारा सबकांशस भी उसी को पाने के लिए होता है। गीतांजलि ने अपनी तैयारी में समय का सदुपयोग किया, और हमेशा अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयास किया।
उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान ब्रेक लेने और खुद को अन्य गतिविधियों के लिए समय देने का महत्व समझा। वे मानती हैं कि तैयारी के लिए सीमित संसाधनों को मानना और बार-बार रिवीजन करना जरूरी है, लेकिन उन्होंने भी संतुष्टि की कि केवल नोट्स बनाने से ही नहीं, विषय को समझने के लिए अन्य स्रोतों का भी उपयोग करना आवश्यक है।
गीतांजलि का सुझाव है कि हमेशा एक साथ कई टेस्ट सीरीज न ज्वाइन करें, क्योंकि इससे समय की बर्बादी होती है। वे अपने लिए उचित टेस्ट सीरीज का चयन करतीं थीं और समय के अद्यतन रहने का प्रयास करतीं थीं।
गीतांजलि की सफलता की कहानी यह सिद्ध करती है कि सही गाइडेंस, हार्डवर्क, और परसिविरेंस के साथ, किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान हमें समय का सही उपयोग करना होता है, लेकिन हमें खुद को फ्रेश और स्थिर रखने के लिए अन्य गतिविधियों के लिए भी समय निकालना चाहिए।