2017 में दूसरी कोशिश में शिखा सुरेंद्रन ने 16वीं रैंक हासिल करके अपनी सफलता की कहानी साझा की। शिखा का उदाहरण उन लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो संकटों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए हिम्मत नहीं हारते।
शिखा की कहानी से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सफलता के लिए उसने कभी हार नहीं मानी, बल्कि हमेशा एक उच्च स्तर पर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। उनके पिताजी का सपना था कि वह डीएम या कलेक्टर बनें, लेकिन शिखा को इसमें कोई रुचि नहीं थी। लेकिन समय के साथ उन्हें पता चला कि उनकी प्रियतमी परीक्षा, यूपीएससी, में सफलता प्राप्त करना उनके लिए संभव है।
शिखा ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत में कोचिंग सेंटर में थोड़ी सी मदद ली, लेकिन जल्द ही उन्होंने स्वयं स्टडी पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि कोचिंग से वे क्या पढ़ना है, क्या नहीं पढ़ना है, और कैसे पढ़ना है, यह सब तब उन्हें स्वयं स्टडी करते समय पता चला।
शिखा का कहना है कि सफलता के लिए सही स्ट्रेटजी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि हर विद्यार्थी का आईक्यू लेवल अलग-अलग होता है, और उन्हें अपनी तैयारी को उसी के अनुसार आयोजित करना चाहिए। उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए समय सारणी तैयार की और दिन में कुछ घंटे सिर्फ पढ़ाई में ही निवेश किए।
शिखा का उल्लेखनीय टिप है कि वे रिवीजन को बहुत महत्व देती थीं। वे बताती हैं कि रिवीजन के बिना उन्हें पढ़ा हुआ सामग्री भूल जाती थी। उन्होंने अपनी संसाधनों को सीमित रखा और बार-बार उन्हें पुनः और पुनः पढ़ा।
शिखा ने अपनी तैयारी के दौरान ऑनलाइन टेस्ट सीरीज में भी भाग लिया। उन्होंने इसके माध्यम से अपनी प्रैक्टिस को और भी मजबूत किया और स्वयं को अच्छी तरह से परखा।
सफलता के पीछे शिखा के परिश्रम, सही दिशा, और सही स्ट्रेटजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी कहानी से हम सीख सकते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए नियमित प्रैक्टिस, सही दिशा, और मेहनत बहुत जरूरी हैं।