जब यूपीएससी की परीक्षा के लिए उतरते हैं, तो बहुत से लोगों को सफलता की ओर पहुंचने में कई अटकलें आती हैं। इस रास्ते पर आने वाली मुश्किलों का सामना करना हर किसी के बस की बात नहीं होती, लेकिन जिसने हार नहीं मानी, उसी को मंजिल मिलती है। इसी के साथ जालंधर के वर्जीत वालिया की कहानी भी बेहद प्रेरणादायक है। उनकी यूपीएससी जर्नी में अनगिनत बाधाएं आईं, पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

वर्जीत वालिया का सफर बहुत ही असाधारण रहा है। कठिनाईयों के बावजूद, वह हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना और उन्हें दूर करने के लिए मेहनत की। यही उनकी सफलता का रहस्य बना।

वर्जित वालिया

पहले अटेम्पट में सेलेक्ट होने के बाद भी, वर्जीत का सफर आसान नहीं था। उनके पास चौथे अटेम्पट में सफलता मिली, जब उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना और सुधार किया। उन्होंने हमेशा नई दिशाओं की ओर बढ़ते हुए, उनके पुराने प्रदर्शन को सुधारा।

वर्जीत ने केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और फिर से सिविल सेवाओं में जाने का निर्णय लिया। 2013 में परीक्षा की तैयारी शुरू की और 2014 में उन्होंने पहला प्रयास किया। अपने पहले प्रयास में, उन्हें प्री में सेलेक्ट किया गया, लेकिन उनकी अंतिम प्रवेश सूची में नाम नहीं था। इसके बाद, उन्होंने अपने ऑप्शनल विषय को बदल दिया और अगले साल फिर प्रयास किया।

उनका सेलेक्शन नहीं हुआ, लेकिन यह उन्हें हिम्मत नहीं हारने दी। वे अपने अटकलों को पहचानने के बाद उन्हें सुधारने के लिए मेहनत की। साल 2017 में, उन्हें सफलता मिली और उनका सपना यूपीएससी परीक्षा क्लियर करने का साकार हुआ।

वर्जीत कहते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा बहुत अनप्रिडिक्टेबल होती है, इसलिए इसमें दिल न लगाएं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए कितनी मेहनत की जाए, असफलता से निराश होना नहीं चाहिए। इससे आपकी प्रेरणा बढ़ती है और आप अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते रहते हैं।

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