सिंगरौली के छोटे से गाँव से आईएएस टॉपर ऋषि राज की यह कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उन्हें कलरब्लाइंडनेस की समस्या के कारण इंजीनियरिंग के लिए मेडिकली अनफिट करार दिया गया था, लेकिन इस चुनौती के बावजूद वे ने अपनी मेहनत और उत्साह से यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की।

साल 2017 में दूसरे प्रयास में ऋषि बन गए यूपीएससी टॉपर। पहले प्रयास में उन्हें साक्षात्कार तक पहुंचने का मौका मिला था, लेकिन अंततः उनका चयन नहीं हुआ। हालांकि, ऋषि ने हार नहीं मानी और पिछली गलतियों से सीखकर फिर से तैयारी की। उनकी अगली कोशिश में ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया और टॉपर बन गए।

ऋषि राज का सलाह है कि छात्रों को अपनी मेहनत पर विश्वास रखना चाहिए। उन्होंने इसके अलावा लिमिटेड किताबें इकट्ठा करने और प्रिवियस ईयर के क्वेश्चन पेपर को समझने की सलाह भी दी है। वे भी उन छात्रों को याद दिलाते हैं कि अपना ऑप्शनल विषय उन्हीं के अनुसार चुनें, जिसमें उन्हें स्ट्रेंथ महसूस हो।

आखिरकार, ऋषि राज का संदेश है कि सही दिशा में मेहनत करने से सफलता जरूर मिलती है। घर पर ही रहकर भी छात्र अच्छी तैयारी कर सकते हैं, जिसमें परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है।

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