सूरज ने अपनी सफलता का श्रेय नवादा के तत्कालीन मंडल जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार पाण्डेय तथा अपने बड़े भाई वीरेंद्र यादव को दिया। जीतते वही हैं जिनके हौसले बुलंद हो और जो कड़ी मेहनत करें, यही कहावत सही साबित करते दिखे हैं बिहार के लाल सूरज कुमार।

सूरज ने नवादा जेल में सजा काटते हुए आईआईटी जेम की परीक्षा को पास करके दिखाया। उन्होंने यह सफलता जेल में रहते हुए सेल्फ स्टडी के आधार पर बिना किसी कोचिंग के हासिल की है। सूरज ने ऑल इंडिया में 54वीं रैंक हासिल की है।

सूरज कुमार

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे नवादा के सूरज कुमार ने यह सफलता हासिल की है। पिछले हफ्ते आईआईटी जेम की परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया और जेल में जब सूरज को अपने आईआईटी जेम की परीक्षा पास करने की खुशखबरी मिली, तो वह बहुत खुश हुआ।

आपको बता दें कि सूरज अब आईआईटी में दाखिला लेकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर सकता है और सूरज का सपना है कि एक दिन वह वैज्ञानिक बनें। सूरज कुमार का सपना है कि वह आईआईटियन बनने के साथ एक बेहतर वैज्ञानिक बनकर देश का नाम रोशन करें।

जेम यानी ज्वॉइंट एडमिशन टेस्ट, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में संचालित मास्टर ऑफ साइंस और अन्य पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली सामान्य प्रवेश परीक्षा होती है। रैंक के अनुसार उम्मीदवारों को दाखिला शीर्ष संस्थानों में मिलता है।

इस साल जेम की परीक्षा का आयोजन आईआईटी रूडकी की ओर से किया गया था। सूरज कुमार ने अपनी सफलता का श्रेय नवादा के तत्कालीन मंडल जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार पाण्डेय तथा अपने बड़े भाई वीरेंद्र यादव को दिया। उनके लिखित संदेश में सूरज ने कहा कि अगर अभिषेक पांडे सर का सहयोग नहीं मिला होता तो वह किसी भी कीमत पर आईआईटीएन नहीं बन पाते। उन्होंने ही जेल के अंदर ही परीक्षा की तैयारी के लिए किताबें और नोट्स समेत अन्य स्टडी मैटेरियल सूरज को उपलब्ध कराया।

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