इल्मा अफरोज का जन्म कस्बा कुंदरकी, जो उत्तर प्रदेश में स्थित है, में हुआ था। यहां से उन्होंने अपने सपनों की ऊंचाइयों को छूने का संघर्ष शुरू किया। उनके पिता का असमय निधन हो जाने के बाद परिवार को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन इल्मा ने हार नहीं मानी। उनकी मां ने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया और पढ़ाई के लिए पूरे प्रयास किया।
इल्मा की अम्मी ने उन्हें पढ़ाई के लिए पूरी तरह से समर्थन दिया, जिससे उन्हें स्कॉलरशिप मिली और उन्होंने अपने अध्ययन को आगे बढ़ाया। उन्होंने इसके बाद सेंट स्टीफेन्स में अपने अध्ययन को जारी रखा, जहां से उन्हें मास्टर्स की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का ऑफर मिला। इस समय उन्हें विदेश में अच्छी नौकरी का भी ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने अपने देश की सेवा के लिए यूपीएससी की तैयारी की।
इल्मा ने अपने प्रियजनों के सहयोग और अपनी मेहनत से साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में 217वीं रैंक हासिल की। उन्होंने आईपीएस को चुना और अपने देश की सेवा का संकल्प लिया। उन्होंने साबित किया कि जमीन से जुड़े रहकर और मेहनत करके किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
इस प्रकार, इल्मा अफरोज की कहानी हमें यह सिखाती है कि साहस, मेहनत, और समर्थन के साथ हर कठिनाई को पार किया जा सकता है, और जमीन से जुड़े रहकर हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता मिल सकती है।