कई प्रयासों में असफलता मिलने के बावजूद भी, हरियाणा की देवयानी ने हार नहीं मानी, और दो बार यूपीएससी परीक्षा को क्रैक किया। देवयानी का सिलेक्शन सेंट्रल ऑडिट विभाग के लिए हुआ, लेकिन उन्होंने इसके साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी की। यूपीएससी परीक्षा देश की कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, और इसे पास करने के लिए काफी मेहनत की जाती है।
देवयानी की कहानी इस बात का उदाहरण है कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है कि हम हार न मानें और मेहनत जारी रखें। उन्होंने तीन बार यूपीएससी परीक्षा दी, परंतु पहले और दूसरे प्रयास में पास नहीं हो पाईं। यहाँ तक कि तीसरे प्रयास में भी उन्हें प्री-एग्जाम पास नहीं कर पाईं, लेकिन इससे हार न मानते हुए वे अपने संघर्ष को जारी रखीं।
2019 में उन्होंने फिर से प्रयास किया और 222वीं रैंक हासिल की। उसके बाद, उन्होंने सिलेक्शन सेंट्रल ऑडिट विभाग के लिए चयनित होने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी जारी रखी। उन्होंने अपनी मेहनत, धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ आईएएस की 11वीं रैंक हासिल की।
उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा कि वे कितने घंटे पढ़ें, बल्कि वे गंभीरता से और तत्परता के साथ पढ़ाई की। पढ़ाई के लिए समय की कमी के बावजूद, वे शनिवार और रविवार को ही पढ़ाई करती थीं।
इसके अलावा, वे अपनी प्रिय विषय में अधिक अंक प्राप्त करने का लक्ष्य रखीं और इसलिए अधिकतर ध्यान उसी दिशा में लगाया। उन्होंने मॉक इंटरव्यू की मदद ली और अखबार पढ़ने और लेखन का अभ्यास किया।
देवयानी की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हार नहीं मानना और मेहनत जारी रखना ही सफलता की कुंजी होती है। उनकी यह उपलब्धि एक प्रेरणास्त्रोत है जो हर किसी को अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।