सिविल सेवा परीक्षा की कहानियाँ: 1997 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम ने देश की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा को पास करने के लिए एक अनोखा सफर तय किया। उनकी यह कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत है जो अपने सपनों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

आईएएस सफलता की यह कहानी हमें यह दिखाती है कि जिंदगी में किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए सिंगर बनने जैसे अनोखे सपनों को हॉबी में बदलने का साहस और उम्मीद रखने का महत्व है।

डॉ हरिओम

सिविल सेवा परीक्षा (यूपीएससी) देने का सपना हर युवा का होता है, लेकिन इसे हासिल करने के लिए बहुत सारी मेहनत और तैयारी की जरूरत होती है। कई बार छात्र पहले ही प्रयास में सफल हो जाते हैं, जबकि कुछको अनेक प्रयासों के बाद सफलता मिलती है। इसके बावजूद, डॉ. हरिओम ने अपनी क्षमताओं को पहचाना और उनके टीचर और पिता ने उन्हें सहारा दिया जब उन्होंने केवल अच्छे छात्र बनने का सोचा था।

डॉ. हरिओम का सपना सिंगिंग का था, लेकिन उन्होंने यह जज्बा और प्रतिबद्धता दिखाई जिससे उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिली। उन्होंने अपने अध्ययन के समय भी संगीत को छोड़ा नहीं, जो उनके पासियों का एक हिस्सा बना रहा।

उन्होंने बताया कि उनके पिता और टीचर्स ने उनकी क्षमताओं को पहचाना और उन्हें सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप, वे सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुए और 1997 में आईएएस ऑफिसर बने।

उनकी यह कहानी हमें यह दिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए आत्म-संदेशना और मेहनत बहुत महत्वपूर्ण होती है। उनका सफलता संदेश है कि हर कोई जो अपने सपनों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध है, वह अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकता है।

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