छठी कक्षा में फेल होना किसी के लिए एक बड़ा ही आत्मनिरीक्षण का मोमेंट हो सकता है, लेकिन रुक्मणी के लिए यह मात्र एक नई शुरुआत की शुरुआत बनी। जब उन्हें छठी कक्षा में फेल होने का सामना करना पड़ा, तो वे निराश नहीं हुईं बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से सफलता की ओर बढ़ने का निश्चय किया।
रुक्मणी ने कोचिंग क्लासेज़ का सहारा नहीं लिया, बल्कि उन्होंने स्वयं स्टडी पर भरोसा किया और सबसे पहले ही कक्षा 6 से 12 तक की NCERT की किताबों का अध्ययन किया। यह उनका पहला कदम था उस दिशा में जाने का, जो उन्हें आगे बढ़ने की दिशा में मदद करेगा।
हर छात्र के लिए परीक्षा में फेल होना कितना आत्महत्या की बात होती है, यह रुक्मणी के साथ भी हुआ था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
रुक्मणी की मेहनत और निष्ठा ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने अपनी तैयारी के लिए सेल्फ स्टडी का सहारा लिया, न्यूज़पेपरों और मैगजीन्स को नियमित रूप से पढ़ा, और रेगुलर मॉक टेस्ट दिए।
उनकी मेहनत और लगन ने फल दिया और उन्हें 2011 में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल की। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत, प्रतिबद्धता और सही दिशा में लगन से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।