नीरीश राजपूत, एक आम दर्जी के परिवार से थे, जिनके लिए रोज़ाना अपने गुजारे की चिंगारी से जीना मुश्किल था। परिस्थितियों के बावजूद, नीरीश ने कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाईयों का सामना किया। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक सफल आईएएस अधिकारी बनने की कहानी लिखी।
नीरीश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, और उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए भी बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके परिवार का गुजारा उनके पिता की दर्जी की दुकान से होता था, और इससे उनकी फीस भरने में काफी मुश्किलें आती थीं। इसके बावजूद, नीरीश ने कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए जीवन की हर मुश्किल का सामना किया।
नीरीश का सफर कभी आसान नहीं था। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अनगिनत प्रयास किए, लेकिन तीन बार यूपीएससी परीक्षा में असफल रहे। लेकिन नीरीश ने कभी हार नहीं मानी और हमेशा आगे बढ़ने का संकल्प किया।
अपने सपनों को पूरा करने के लिए, नीरीश ने किसी भी मुश्किल को अपने लिए बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से नौकरी और पढ़ाई को संतुलित रखा। वे अपने पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब करते रहे, ताकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हो सके।
नीरीश का सफर यहाँ खत्म नहीं हुआ। उन्होंने एक दिन अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली चले गए, जो की यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वहाँ उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की, और दिन-रात की मेहनत के बाद अपने सपनों को हासिल करने का संकल्प किया।
नीरीश की मेहनत और लगन ने उन्हें आखिरकार सफलता की ओर ले जाया। उन्होंने अपने चौथे प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा में 370 रैंक हासिल की, और एक सफल आईएएस अधिकारी बन गए।
नीरीश की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे सपने में पूरी मेहनत और लगन हो, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। चाहे जितनी भी कठिनाई हो, हार मानने का कोई स्थान नहीं है। नीरीश की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए उत्साह, लगन, और मेहनत की आवश्यकता होती है।