जीवन की हर कठिनाई के बावजूद, अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाले व्यक्ति हमेशा समर्थ होते हैं। आईएएस अधिकारी कुमार अनुराग इसी अदम्य संघर्ष का उदाहरण हैं। उनकी कहानी बताती है कि जो व्यक्ति अपनी कमियों को स्वीकार कर, उन्हें सुधारने की कोशिश करता है, वह हमेशा सफल होता है।
कुमार अनुराग की कहानी साबित करती है कि मेधावी छात्र होने की जरूरत नहीं है जब बात आती है आईएएस या पीसीएस अधिकारी बनने की। वे बिहार के अनौपचारिक अधिकारी हैं, जो पढ़ाई में कमजोर थे और यूपीएससी की परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाए थे। लेकिन अनुराग ने इस धारणा को खंडित किया कि ऐसे छात्र ही आईएएस अधिकारी बन सकते हैं।
उन्होंने स्वयं को साबित किया कि यूपीएससी की तैयारी के लिए आदमी को सच्चे में अपनी मेहनत करनी चाहिए। कुमार अनुराग ने अपने असफल प्रयासों से हिम्मत नहीं हारी, बल्कि उन्होंने उनसे सीखा और पुनः प्रयास किया। उन्होंने ग्रेजुएशन में असफलता का सामना किया, लेकिन इस असफलता से डर कर नहीं हारे। उन्होंने लगन और कड़ी मेहनत से यूपीएससी की तैयारी की और अपने सपनों को पूरा करने में सफल रहे।
बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले अनुराग ने साबित किया कि छोटे शहरों के छात्र भी बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने अपनी असफलताओं को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक और मौका बनाया। उनकी यह सफलता साबित करती है कि जीवन में निरंतर प्रयास करने और कड़ी मेहनत करने से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उन्होंने दिखाया कि सपनों को साकार करने के लिए सिर्फ मेधा ही जरूरी नहीं होती, बल्कि उनमें संघर्ष की भावना और आत्मविश्वास का भी अहम योगदान होता है।