वासु जैन की सफलता की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो सेल्फ स्टडी के माध्यम से सिविल सेवा की परीक्षा में उत्तीर्ण होने का सपना साकार किया। उन्होंने अपनी तैयारी में समय की सामर्थ्यपूर्ण उपयोग किया और बिना किसी कोचिंग के भरपूर तैयारी करके उच्च स्थान प्राप्त किया। उनकी सफलता के पीछे एक स्मार्ट स्टडी का प्रयास था, जिसने उन्हें अंतिम परिणाम तक पहुंचाया।
वासु जैन ने अपने यूपीएससी के सफर में एक अहम बात को साबित किया – कोचिंग की आवश्यकता नहीं है। वे तैयारी के लिए स्वतंत्र रूप से नोट्स बनाकर उसी पर भरोसा करते थे। उन्होंने इस रणनीति को अपनाया और अपनी मेहनत और समर्पण के साथ अंत में सफल हुए।
वासु जैन की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि यूपीएससी की तैयारी में नोट्स बनाना कितना महत्वपूर्ण होता है। नोट्स बनाने से न केवल हमें तैयारी की समीक्षा करने का अवसर मिलता है, बल्कि यह हमें आखिरी समय में भी सहायक साबित होते हैं। नोट्स बनाने के द्वारा हम अपनी तैयारी को संगठित और पुनः परीक्षा के दिनों में जाँचने की सुविधा प्राप्त करते हैं।
वासु जैन ने बताया कि तैयारी के लिए प्राथमिकता एनसीईआरटी की बेसिक किताबों को पढ़ने की होनी चाहिए। इन किताबों को अच्छे से समझने के बाद, स्टैंडर्ड किताबों की ओर बढ़ना चाहिए। उनके मुताबिक, नोट्स बनाना तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसे किसी भी कैंडिडेट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
वासु जैन की सलाह के अनुसार, प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा की तैयारी के लिए अलग-अलग रणनीतियों को अपनाया जा सकता है, लेकिन दोनों परीक्षाओं की तैयारी को एक साथ भी किया जा सकता है। यूपीएससी की तैयारी के लिए सिलेबस को ध्यान से देखना और उसके अनुसार एक अनुसूची तैयार करना आवश्यक है। सीमित किताबों के साथ तैयारी करने के साथ-साथ, इंटरनेट की सहायता भी ली जा सकती है।
समाप्ति के रूप में, यूपीएससी की सफलता के लिए कड़ी मेहनत, समर्पण, और सही रणनीति अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वासु जैन की सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि स्वतंत्र स्टडी के माध्यम से भी यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की जा सकती है।