जब बात यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करने की आती है, तो यह सोचा जाता है कि इसे केवल रात दिन की मेहनत से ही पा सकते हैं। कई बार ऐसे कैंडिडेट्स भी होते हैं जो इस स्तर की मेहनत का साक्षात्कार नहीं कर पाते। लेकिन ओडिशा की सिमी करन जैसे कैंडिडेट्स इस सिलसिले में अलग हैं, जो पहले ही प्रयास में ग्रेजुएशन के साथ-साथ यूपीएससी सीएसई परीक्षा क्लियर करते हैं और 33वीं रैंक के साथ टॉप करते हैं। इनका ग्रेजुएशन भी आईआईटी से नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग से किया गया था। सिमी की सफलता की कहानी चमत्कारिक है और इससे हमें बहुत साहस मिलता है।
अगर हम सिमी के पारिवारिक बैकग्राउंड की बात करें, तो वे मूल रूप से ओडिशा की हैं, लेकिन उनकी शिक्षा और पढ़ाई की शुरुआत भिलाई में हुई। सिमी हमेशा से एक उत्तम छात्र रही हैं और लगभग हर क्लास में उनके अच्छे अंक आते थे। लेकिन उन्होंने हमेशा से यूपीएससी की तैयारी का सोचा नहीं था, इसलिए उन्होंने बारहवीं के बाद ग्रेजुएशन किया। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसी दौरान एक इंटर्नशिप के दौरान वे पास के स्लम एरिया में बच्चों को पढ़ाने गईं। उस समय उन्हें एक ऐसे क्षेत्र को ज्वाइन करने का विचार आया, जहां वे अधिकारहीन लोगों की मदद कर सकती थीं। इस प्रकार, सिमी ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, सिमी ने सबसे पहले टॉपर्स के इंटरव्यू देखे और इंटरनेट की सहायता से अपने लिए बुक लिस्ट तैयार की। वे अपनी तैयारी के लिए मानक पुस्तकों का चयन करतीं, और हमेशा याद रखतीं कि किताबें सीमित रखकर बार-बार रिवीजन करनी चाहिए। उन्होंने अपनी प्री की तैयारी पर पूरा ध्यान दिया और रिवीजन पर भी महत्व दिया। उन्होंने सिलेबस को छोटे हिस्सों में विभाजित किया और फिर तैयारी शुरू की, जिससे उन्हें सिलेबस को समझने में आसानी हो।
सिमी ने उत्तर लेखन पर भी ध्यान दिया, क्योंकि वे जानतीं थीं कि बिना अच्छे उत्तर लेखन के अभ्यास के, तैयारी अधूरी है। उन्होंने समय प्रबंधन का महत्व भी समझा और बड़ी ही तरह से अपनी तैयारी को बिन्दासी से पूरा किया। सिमी की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कठिनाइयों को आसानी से पार किया जा सकता है, यदि सही योजना बनाई जाए और उसे पूरा करने के लिए मेहनत की जाए।