राजस्थान के एक छोटे से गाँव में जन्मे और पले बड़े मनीराम शर्मा ने संघर्ष और समर्पण के साथ अपने सपनों को साकार किया। उनकी यात्रा, जो एक चपरासी के रूप में शुरू हुई थी, आज एक सफल आईएएस अधिकारी की कहानी बन गई है।
मनीराम का पहला कदम सोच से भरा था, जब उन्होंने स्कूल जाने के लिए हर दिन 5 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। गाँव में स्कूल की कमी के चलते उन्हें अपने शिक्षा की भूख को पूरा करने के लिए दूरी का सामना करना पड़ा। यह साहसिक प्रयास ने उनकी दृढ़ता को और भी मजबूती से बनाया।
उनके परिश्रम और संघर्ष का अंत नहीं हुआ, जब उन्होंने अपने पढ़ाई के लिए नौकरी की तलाश में निकला। परिवार की आर्थिक स्थिति उनकी पढ़ाई को समर्थन नहीं कर सकती थी, लेकिन मनीराम ने हार नहीं मानी। चपरासी की नौकरी मिलने के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों को सींचने का संकल्प किया।
उन्होंने क्लर्क की परीक्षा पास की और बच्चों को ट्यूशन देते हुए अपनी अग्रणी पढ़ाई जारी रखी। इसके बाद, उन्होंने पीएचडी की स्कॉलरशिप प्राप्त की और आखिरकार सपने की चोटी पर पहुँचे।
2009 में, एक अग्रणी उच्चतर सरकारी परीक्षा के परिणाम के रूप में, मनीराम ने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बने। उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और उत्साह ने उन्हें उस स्थान पर ले जाया, जहाँ से उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।
मनीराम की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता का रास्ता कभी भी सीमित नहीं होता। संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास के साथ, हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।