कार्तिक जीवाणी की सफलता की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां से अधिकांश की सफलता की कहानियाँ शुरू होती हैं – संघर्ष, मेहनत और अटल संकल्प से। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए जगह-जगह लगाई मेहनत की, जिसने उन्हें IAS अधिकारी बनाने की मंजिल तक पहुँचाया।

कार्तिक जीवाणी ने 2017, 2019 और 2020 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। इन तीन बारिक सफलताओं के पीछे एक अद्वितीय कहानी है, जो साहस, संघर्ष और निरंतर प्रयास की गहरी कहानी है।

कार्तिक जीवाणी

कार्तिक जीवाणी का संघर्ष शुरू हुआ उनके बचपन से ही। गुजरात के सूरत में जन्मे, उन्होंने अपने शैक्षिक सफर की शुरुआत वहाँ से की। उन्होंने 12वीं कक्षा की पढ़ाई साइंस से पूरी की और फिर जेईई मेंस की परीक्षा दी और IIT बॉम्बे में एडमिशन प्राप्त किया।

हालांकि, इंजीनियरिंग के दौरान, उनका सपना सिविल सेवा में शामिल होने का हमेशा से था। धैर्य, मेहनत और संघर्ष के साथ, वे इस लक्ष्य की ओर बढ़ते गए। पहले प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन वे हार नहीं माने।

कार्तिक जीवाणी ने अपनी तैयारी को और भी मजबूत किया, और जितने समय की उन्हें आवश्यकता होती, उससे कहीं अधिक पढ़ाई की। उन्होंने सन 2017 में 94वीं रैंक प्राप्त की, फिर सन 2019 में 84वीं रैंक प्राप्त की, और अंततः सन 2020 में 8वीं रैंक प्राप्त की।

कार्तिक का मंत्र था – हर दिन 8 से 10 घंटे की पढ़ाई करनी चाहिए। यही मंत्र उन्हें उस उच्च स्थान तक पहुँचाया जहाँ से वे सपने को साकार करने की राह में आगे बढ़ सके।

कार्तिक जीवाणी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए महत्वपूर्ण है अध्ययन के साथ साथ अनुशासन और निरंतर प्रयास। उनकी इस सफलता की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि किसी भी मंजिल तक पहुँचने के लिए आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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