जैसे कि कहा गया है, “सफलता को पाने के लिए आपको हार नहीं माननी चाहिए।” यह सत्य डॉ मिथुन प्रेमराज की जिंदगी की कहानी में भी प्रतिष्ठित है। वे एक प्रतिभावान चिकित्सक थे, जो अपने आईएएस सपने को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास करते रहे।
डॉ मिथुन प्रेमराज ने पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) से चिकित्सा में पढ़ाई की। उनके परिवार में डॉक्टरों का परिवार था, जिनमें उनके पिता एक जाने-माने रोग विशेषज्ञ थे।
डॉ मिथुन ने डॉक्टर बनने के बाद अपने सपने को आईएएस अधिकारी बनाने की इच्छा का इजहार किया। उन्होंने तैयारी में लगे रहे, लेकिन पहले कई प्रयासों में सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरी प्रयास में उन्हें सफलता मिली।
इसके बावजूद कि डॉ मिथुन पिछले चार प्रयासों में सफल नहीं हो सके, उन्होंने अपने सपने के पीछे लगातार प्रयत्न किए। उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 12 वीं रैंक हासिल की।
डॉ मिथुन की सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए निरंतर प्रयास करना और हार नहीं मानना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि अगर हम अपने सपनों की पुर्ति के लिए संकल्पित हैं, तो आखिर में हमें सफलता मिल ही जाती है।