मॉनसून के दौरान पटरियों के किनारे जमा कचरा रेलवे की मुसीबत बन जाता है। यदि थोड़ा कचरा भी नालों में अटक जाए, तो पटरियों पर पानी जमा हो जाएगा और ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होगा। इसी समस्या का हल ढूंढने के लिए सेंट्रल रेलवे ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस कदम के तहत, मध्य रेलवे कचरे को रोकने के लिए पर्मानेंट इलाज करने के मूड में है।

मुंबई में, मॉनसून के दौरान पटरियों के किनारे जमा कचरा एक बड़ी समस्या बन जाता है। इसके परिणामस्वरूप, यदि नालों में कचरा जमा हो जाता है, तो पटरियों पर पानी जमा हो सकता है, जिससे ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होता है। इस समस्या को हल करने के लिए, सेंट्रल रेलवे ने कचरे को रोकने के लिए पर्मानेंट इलाज करने का फैसला किया है।

एक प्रोटेक्शन ट्रायल का आयोजन विक्रोली स्टेशन के पास हुआ है। इस प्रयोग के बेहतर परिणामों के बाद, मध्य रेलवे ने पूरे रूट पर टफन्ड मोल्डिंग कंपोसाइट (TMC) को लगाने का निर्णय लिया है। इस नई प्रणाली का लाभ उठाने के लिए रेलवे ने बताया कि यह TMC टिकाऊ और किफायती है।

मेनलाइन पर भी प्रोटेक्शन का काम शुरू हो गया है। सीएसएमटी से कल्याण तक के लगभग 60 किमी रूट पर TMC फेंसिंग लगाई जा रही है। यह काम अगले 6 महीने में पूरा हो जाएगा।

पिछले साल, 2023 में, रेलवे ने पटरियों से करीब 80 हजार मेट्रिक टन कचरा उठाया था। इस साल भी प्री-मॉनसून के काम के तहत कचरा समेत अन्य समस्याओं का हल किया जाएगा।

सेंट्रल रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, इन उपायों का लागू होने से कचरे को रोकने की समस्या में सुधार होगा।

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