नमिता शर्मा की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो बार-बार असफलताओं का सामना करने के बाद भी अपने सपनों को नहीं छोड़ते। नमिता ने अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपनी असफलताओं से सीख ली और अंततः अपने आखिरी प्रयास में आईएएस बनकर दिखाया।
नमिता शर्मा का बैकग्राउंड
दिल्ली की रहने वाली नमिता शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। पढ़ाई में होशियार नमिता को इंजीनियरिंग के बाद एक अच्छी नौकरी मिल गई, लेकिन उनका सपना सिविल सेवा में जाने का था। करीब दो साल नौकरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया।
संघर्ष और असफलताओं का सामना
नमिता का यूपीएससी का सफर आसान नहीं था। शुरुआती दो प्रयासों में अधूरी तैयारी के कारण वे प्री-परीक्षा में ही असफल हो गईं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीख लेकर तीसरे और चौथे प्रयास में भी पूरी कोशिश की, हालांकि वे फिर भी प्री-परीक्षा पास नहीं कर पाईं।
आखिरकार मिली सफलता
पांचवें प्रयास में नमिता ने इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने में सफलता पाई, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ गया। इसके बाद उन्होंने और भी ज्यादा मेहनत की और अपने आखिरी प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 145 हासिल कर ली। नमिता का मानना है कि असफलताओं से निराश होने के बजाय उनसे सीखना चाहिए और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अन्य उम्मीदवारों के लिए सलाह
नमिता ने अपने आखिरी दो प्रयास नौकरी के साथ दिए। उनका 2016 में एसएससी सीजीएल में चयन हो गया था। नौकरी करते हुए भी उन्होंने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी और सफलता प्राप्त की। नमिता का मानना है कि एक बेहतर शेड्यूल और रणनीति के साथ तैयारी करने से सफलता मिलती है। वे सलाह देती हैं कि अपनी क्षमताओं के अनुसार खुद की रणनीति बनाएं और किसी और की रणनीति की नकल करने से बचें।
नमिता शर्मा की यह सफलता कहानी यह साबित करती है कि कठिन मेहनत, धैर्य और सही रणनीति के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं।