लक्ष्य सिंघल उन उम्मीदवारों में से हैं जो कई प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने के बावजूद UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास करने का सपना देखते हैं और उसे साकार भी करते हैं। आइए जानते हैं उनके साहस और दृढ़ संकल्प की कहानी।
IAS टॉपर लक्ष्य सिंघल की सफलता की कहानी
UPSC को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। आमतौर पर यह धारणा है कि केवल अत्यंत प्रतिभाशाली उम्मीदवार ही इस परीक्षा को पास कर सकते हैं। लेकिन लक्ष्य सिंघल जैसे उम्मीदवार भी होते हैं जो अपने करियर में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाते, फिर भी UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास करने का लक्ष्य रखते हैं और जल्दी ही सफल हो जाते हैं। लक्ष्य ने 2018 में अपने दूसरे प्रयास में UPSC CSE परीक्षा में 38वीं रैंक प्राप्त की। दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी UPSC यात्रा के बारे में विस्तार से बताया।
UPSC का रास्ता क्यों चुना?
लक्ष्य के UPSC की तरफ रुख करने का कारण बहुत ही दिलचस्प है। उन्होंने बताया कि जब वह पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, तो उनके परिवार ने उनसे ज्यादा उम्मीदें नहीं रखीं। लेकिन दसवीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद परिवार ने उन्हें महत्व देना शुरू किया। तब उन्होंने समझा कि समाज और परिवार में सम्मान पाने के लिए पढ़ाई में उत्कृष्टता आवश्यक है।
इसी दौरान उनके पड़ोस के एक लड़के ने UPSC CSE परीक्षा पास की, और उसके रुतबे ने लक्ष्य को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। हालांकि इसके बाद भी लक्ष्य किसी क्लास या प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।
परिवार की उम्मीदें और प्रारंभिक असफलताएं
बारहवीं के बाद लक्ष्य ने कई इंजीनियरिंग परीक्षाएं दीं, लेकिन कोई भी क्रैक नहीं कर पाए। इससे उनके परिवार का बचा हुआ आत्मविश्वास भी खत्म हो गया। जब स्टेट यूनिवर्सिटी से बीई करने की बात आई, तो उनके पिता ने उन्हें मैकेनिकल इंजीनियरिंग चुनने को कहा, ताकि वे कम से कम घर का बिजनेस संभाल सकें। लक्ष्य ने इस ब्रांच से ग्रेजुएशन किया। बीई के बाद उन्होंने अपने पिता से सिविल सर्विस परीक्षा देने की इच्छा जताई, और परिवार ने सोचा कि प्रयास करने में कोई हर्ज नहीं है। इसके बाद वे कोचिंग के लिए गाजियाबाद से दिल्ली आ गए।
पहले प्रयास में इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे
लक्ष्य ने पहले साल कोचिंग की, लेकिन उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा। दूसरे प्रयास के समय वे घर वापस आकर वहीं से तैयारी करने लगे। सीमित संसाधनों के साथ उन्होंने पिछली गलतियों से सीखते हुए दोबारा तैयारी शुरू की। पहली बार में ही उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स क्वालिफाई करते हुए इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे, लेकिन 6 अंकों से चयन नहीं हो पाया।
असफलता के बाद लक्ष्य ने अपनी कमजोरियों को पहचाना और उन्हें दूर करने के उपाय किए। दूसरे प्रयास में उन्होंने वही गलतियां नहीं दोहराईं, और इस बार सफल हुए।
लक्ष्य की सलाह
तैयारी के टिप्स देते हुए लक्ष्य कहते हैं कि हर किसी की क्षमता अलग होती है, इसलिए अपनी योजना अपने हिसाब से बनाएं। लक्ष्य शुरू में दस से बारह घंटे पढ़ते थे, जो धीरे-धीरे घटकर छह से आठ घंटे हो गया। उनका मानना है कि इस परीक्षा को पास करने के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है। जितना भी पढ़ें, रोज़ पढ़ें। तैयारी के समय को निवेश समझें और मन लगाकर पढ़ाई करें। साथ ही बैकअप प्लान तैयार रखें, क्योंकि इस परीक्षा में सफलता की कोई गारंटी नहीं है।
इस प्रकार आप देख सकते हैं कि कैसे एक औसत छात्र ने अपने दूसरे प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक को न केवल पास किया, बल्कि उसमें शीर्ष स्थान भी प्राप्त किया।