सूर्य पाल गंगवार की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। आईएएस सूर्य पाल गंगवार ने अपने कड़ी मेहनत और अदम्य साहस से यह साबित कर दिखाया कि असफलताएं सफलता की ओर बढ़ने के मार्ग में केवल एक पड़ाव होती हैं।
बरेली जिले के साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले सूर्य पाल गंगवार ने नवाबगंज कस्बे के एक स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता एक शिक्षक थे और उनके आदर्श भी। नवोदय विद्यालय में पढ़ाई करते समय ही सूर्य पाल गंगवार को डीएम बनने की प्रेरणा मिली। उन्होंने 12वीं के बाद IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और एक सफल इंजीनियर के रूप में कॉर्पोरेट दुनिया में कदम रखा।
कॉर्पोरेट जॉब से IAS बनने का सफर
सूर्य पाल गंगवार ने ईएमसी और फिलिप्स जैसी कंपनियों में काम किया और कार्यकुशलता व समय प्रबंधन सीखा। उन्हें विदेश में काम करने का अवसर मिला, लेकिन उन्होंने भारत में रहकर अपने देश के लिए काम करना चुना। जुलाई 2003 में उन्होंने एयर इंडिया लिमिटेड में इंजीनियर के रूप में काम शुरू किया। इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की।
असफलताओं से मिली सीख
2004 में पहली बार यूपीएससी परीक्षा में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। 2005 में दोबारा प्रयास किया, लेकिन फिर असफल रहे। इसके बाद उन्होंने अपने नौकरी के बाद के सभी समय को यूपीएससी की तैयारी में लगा दिया। दिल्ली में कोचिंग ज्वाइन की और दिन-रात मेहनत करते रहे। 2006 में फिर परीक्षा दी लेकिन मेन्स में सफलता नहीं मिली।
आईआरएस से आईएएस तक का सफर
2007 में 476वीं रैंक के साथ आईआरएस में चयनित हुए। लेकिन उनका लक्ष्य स्पष्ट था – आईएएस बनना। 2008 में उन्होंने फिर परीक्षा दी और इस बार 8वीं रैंक हासिल कर आईएएस बने।
सूर्य पाल गंगवार की यह सफलता कहानी यह संदेश देती है कि जीवन में असफलताओं से हार नहीं माननी चाहिए। निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आज वह लखनऊ के जिला अधिकारी पद पर तैनात हैं और अपनी कड़ी मेहनत और साहस की मिसाल कायम कर रहे हैं। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।