राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, और इसके साथ ही पानी की कमी ने भी गंभीर रूप ले लिया है। इस समस्या ने सियासी घमासान को भी तेज कर दिया है। पानी संकट को देखते हुए ट्यूबवेल के रनिंग टाइम को बढ़ाकर 14 घंटे कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी पानी का उत्पादन 135 एमजीडी ही बना हुआ है। इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
जल बोर्ड के एक्शन पर सवाल
दिल्ली में पानी के उत्पादन को लेकर जल बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले कई दिनों से पानी की कमी से जूझ रही दिल्ली को पर्याप्त पानी सप्लाई करने के लिए ट्यूबवेल्स का रनिंग टाइम 6 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे करने का निर्णय लिया गया। पहले 6 घंटे में 5169 ट्यूबवेल्स और 11 रेनीवेल्स से 135 एमजीडी पानी का उत्पादन हो रहा था। अब जब ट्यूबवेल्स का रनिंग टाइम 14 घंटे कर दिया गया है, तब भी उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, जिससे सवाल खड़े हो गए हैं।
पानी का गहराता संकट
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, वर्तमान में दिल्ली की आबादी को रोजाना करीब 1300 एमजीडी पानी की आवश्यकता है। जल बोर्ड के 9 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की उत्पादन क्षमता सिर्फ 821 एमजीडी है, जिससे लगभग 840 से 845 एमजीडी पानी का उत्पादन हो रहा है। 29 मई को प्लांटों ने 841.53 एमजीडी पानी का उत्पादन किया, जो सामान्य उत्पादन से 20.5 एमजीडी अधिक था। ट्यूबवेल्स और रेनीवेल्स से 135 एमजीडी पानी मिलाकर कुल 976.53 एमजीडी पानी की सप्लाई हुई। फिर भी, यह मात्रा मांग से करीब 323.4 एमजीडी कम है, जिससे दिल्ली में पानी की भारी कमी बनी हुई है।
ट्यूबवेल का रनिंग टाइम बढ़ाने के निर्देश
जल मंत्री ने निर्देश दिया था कि ट्यूबवेल्स का रनिंग टाइम 6 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे किया जाए। इस निर्णय को लागू किया गया, लेकिन इसके बावजूद पानी का उत्पादन 135 एमजीडी ही बना रहा। इससे यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में ट्यूबवेल्स का रनिंग टाइम बढ़ाया गया है या नहीं।
गंगा जल की समस्या
दिल्ली को पानी की मुख्य आपूर्ति हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होती है। हरियाणा से सीएलसी (करियर लिंक चैनल) से 719 क्यूसेक, डीएसबी चैनल से 330 क्यूसेक, और उत्तर प्रदेश के मुरादनगर रेग्युलेटर से 470 क्यूसेक गंगा जल (254 एमजीडी) मिलता है। गंगा जल में से 270 क्यूसेक पानी सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और 200 क्यूसेक पानी भागीरथी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को दिया जाता है। लेकिन गंगा जल में गंदगी के कारण भागीरथी प्लांट में पानी उत्पादन कम हो गया है। वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में यमुना का जल स्तर कम होने से पहले से ही 21 एमजीडी उत्पादन कम हो रहा है। इन सब कारणों से दिल्ली में पानी की समस्या और भी बढ़ गई है।
निष्कर्ष
दिल्ली में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जल बोर्ड को उत्पादन क्षमता बढ़ाने और सप्लाई में सुधार के लिए आवश्यक उपाय करने होंगे, ताकि दिल्लीवासियों को इस भीषण गर्मी में पानी की कमी से निजात मिल सके।