रेनू राज की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम और समर्पण से सब कुछ संभव है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रेनू राज केरल के कोट्टायम जिले की रहने वाली हैं। उनकी स्कूली शिक्षा केरल में ही हुई। स्कूल के बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। डॉक्टर बन जाने के बाद भी रेनू का सपना आईएएस बनने का था, इसलिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
यूपीएससी की तैयारी
रेनू राज ने परीक्षा की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबों का सहारा लिया। वह हर दिन 6 से 7 घंटे पढ़ाई करती थीं। उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा को क्रैक किया। 2014 में, उन्होंने दूसरी रैंक प्राप्त कर अपने परिवार का नाम रोशन किया और देश भर में सराहना पाई।
आईएएस बनने की प्रेरणा
रेनू का उद्देश्य लोगों की सेवा करना था। डॉक्टर रहते हुए वह प्रतिदिन 50 से 100 मरीजों की मदद कर पाती थीं, लेकिन आईएएस बनने के बाद वह बड़ी संख्या में लोगों की सेवा कर सकती थीं। इसी सोच ने उन्हें सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया।
सलाह उम्मीदवारों के लिए
रेनू राज ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को सलाह दी कि वे नियमित पढ़ाई करें और एनसीईआरटी की किताबों को प्राथमिकता दें। उन्होंने खुद डॉक्टर के रूप में काम करते हुए रोजाना 3 से 6 घंटे पढ़ाई की थी और यह शेड्यूल 6 से 7 महीने तक फॉलो किया।
व्यक्तिगत जीवन
2022 में डॉ. रेनू राज ने आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमण से शादी की। उनकी कहानी न केवल यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है।
रेनू राज की सफलता की कहानी यह बताती है कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों और हम कड़ी मेहनत करें तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी यात्रा सभी के लिए एक उदाहरण है कि अपने सपनों को पाने के लिए समर्पण और परिश्रम से काम लेना कितना महत्वपूर्ण है।