महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के निवासी नवजीवन पवार का जीवन संघर्ष और जज्बे की मिसाल है। उनके पिता एक किसान हैं और साधारण परिवार में पले-बढ़े नवजीवन ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए अनगिनत चुनौतियों का सामना किया।
डेंगू के दौरान भी जारी रखी पढ़ाई
मेन्स परीक्षा से एक महीने पहले नवजीवन को डेंगू हो गया और उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। इस कठिन परिस्थिति में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अस्पताल में रहते हुए ही पढ़ाई जारी रखी।
दिल्ली में तैयारी की शुरुआत
अपने पिता की सलाह पर नवजीवन ने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया। यहाँ उन्होंने दिन-रात मेहनत की, लेकिन एक दिन अचानक बीमार पड़ गए। उन्हें डेंगू हुआ और आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। जब उनके पिता को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने नवजीवन को नासिक बुला लिया।
अस्पताल में पढ़ाई
अस्पताल में रहते हुए नवजीवन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने अपने दोस्तों, सीनियर्स और परिवार के सदस्यों की मदद से अस्पताल को ही अपनी पाठशाला बना लिया। उनकी बहन उन्हें वीडियो दिखाती, भांजी नोट्स बनाती, सीनियर्स फोन पर समझाते और दोस्त उनके डाउट्स क्लियर करते।
आत्मविश्वास की कहानी
इस दौरान, नवजीवन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। एक ज्योतिषी ने उन्हें बताया कि वे यूपीएससी पास नहीं कर पाएंगे, जिससे उन्हें गुस्सा आया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसके अलावा, उन्हें कुत्ते ने काट लिया और उनका डेटा से भरा मोबाइल चोरी हो गया, लेकिन इन सबके बावजूद नवजीवन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।
नवजीवन की सीख
नवजीवन मानते हैं कि अगर किसी चीज को पूरे दिल से चाहो, तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में जुट जाती है। यह डायलॉग उनके जीवन पर पूरी तरह से लागू होता है। उनकी मेहनत और संघर्ष की बदौलत उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की।
इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ उनका सामना करना चाहिए। नवजीवन पवार ने साबित कर दिया कि असली सफलता उन्हें ही मिलती है जो चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हैं।