हिमांशु नागपाल ने साल 2018 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 26वीं रैंक हासिल की थी। तमाम संघर्षों को झेलकर यहां तक पहुंचने वाले हिमांशु ने यह सफर कैसे तय किया, आइए जानते हैं।

संघर्षों से भरी शुरुआत:

हिमांशु नागपाल हरियाणा के छोटे से गांव भूना से हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई हिंदी मीडियम के साधारण स्कूल में हुई। ग्रेजुएशन तक हिमांशु का अंग्रेजी से खास परिचय नहीं था। इसके चलते वह अंग्रेजी में सहज नहीं थे और न ही उनमें वह शहरी बच्चों जैसी स्मार्टनेस थी, जिन पर उनके साथी गर्व करते थे। हालांकि, यूपीएससी एक ऐसा एग्जाम है जिसमें आपके बैकग्राउंड, भाषा, स्कूलिंग या स्ट्रीम का कोई महत्व नहीं होता। अगर आप काबिल हैं और अधिकारी बनने की क्षमता रखते हैं, तो आपका चयन जरूर होगा। हिमांशु ने इन्हीं चुनौतियों को पार कर अपनी मंजिल पाई।

Himanshu Nagpal

पिता का सपना:

बारहवीं के बाद जब हिमांशु पहली बार बाहर पढ़ने गए, तो उनके पिता भी साथ गए। कॉलेज के बाहर लगे बोर्ड पर टॉपर्स के नाम देखकर उनके पिता ने कहा, “मैं तुम्हारा नाम इस बोर्ड पर देखना चाहता हूं।” हिमांशु ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब उनके पिता की उसी दिन गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और वह उनकी आखिरी मुलाकात साबित हुई, तब हिमांशु का जीवन का एक ही लक्ष्य बन गया – उस बोर्ड पर अपना नाम देखना।

बेरहम जिंदगी और संघर्ष:

गांव के माहौल से निकलकर शहर में अपना अस्तित्व तलाश रहे हिमांशु पर दूसरा पहाड़ तब टूटा जब उनके ग्रेजुएशन के दौरान उनके भाई की मृत्यु की खबर मिली। इससे हिमांशु की दुनिया मानो खत्म हो गई। वह कॉलेज में दूसरे साथियों के बीच छिपकर और पीछे बैठकर दिन काट रहे थे। माँ के अकेले हो जाने के कारण उन्हें घर लौटना पड़ा। इसी समय उनके चाचा ने उन्हें सहारा दिया, माँ का ख्याल रखने का आश्वासन दिया और हिमांशु को हिम्मत दी। उन्होंने हिमांशु को विश्वास दिलाया कि वह यह परीक्षा पास कर सकते हैं। इस समय परीक्षा पास करना हिमांशु के लिए एक च्वॉइस नहीं, मजबूरी बन चुका था।

हिमांशु की सलाह:

हिमांशु अन्य उम्मीदवारों को यही सलाह देते हैं कि अपने बैकग्राउंड के आधार पर कभी खुद का आंकलन न करें। अगर आप मेहनत करने का माद्दा रखते हैं तो कोई आपको सफल होने से नहीं रोक सकता। भाषा का कोई फर्क नहीं पड़ता, सबसे महत्वपूर्ण है आपकी मेहनत और सही दिशा में किया गया प्रयास। उन्होंने कहा कि भले ही थोड़ा पढ़ें, लेकिन रोज पढ़ें और अपनी पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखें।

कुछ समय के लिए अपनी सोशल लाइफ को खत्म कर पूरी तरह से तैयारी में जुट जाएं। याद रखें, समस्याएं सभी के जीवन में आती हैं, चाहे वे इमोशनल हों, फाइनेंशियल हों, या किसी और प्रकार की। यह आपके ऊपर है कि आप इन समस्याओं के सामने घुटने टेकते हैं या उन्हें पार करते हैं। आपकी सफलता आपके हाथ में है।

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