अब तक उत्तर प्रदेश का आम खाड़ी देशों में निर्यात किया जाता था, जहां विशेष ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती। बिचौलियों के कारण अक्सर बागवानों को उचित कीमत नहीं मिल पाती, जिससे वे स्थानीय मार्केट को प्राथमिकता देते थे। यूरोपीय देशों में आम की अच्छी कीमत मिलती है, लेकिन वे अपनी शर्तों पर ही निर्यात की अनुमति देते हैं।
- यूरोपीय देशों में आम की उच्च कीमत मिलती है, लेकिन वहां के निर्यात मानकों का पालन करना होता है।
- किसानों को इन शर्तों और लाभ के प्रति जागरूक करने पर अब सरकार का ध्यान केंद्रित है।
- यूरोपीय देशों में निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह प्रॉजेक्ट शुरू किया गया है।
परियोजना की शुरुआत
आने वाले समय में यूरोपीय देशों में उत्तर प्रदेश से आम का निर्यात करना आसान होगा। इसके लिए यूरोप के बाजार को ध्यान में रखते हुए बागवानों से आम की फसल तैयार करवाई जाएगी। केंद्र सरकार ने जर्मनी के सहयोग से इस पहल की शुरुआत की है। इंडो-जर्मन कॉरपोरेशन ने एफपीओ के जरिए इस साल लखनऊ के किसानों के साथ पायलट प्रॉजेक्ट शुरू किया है।
आम का उत्पादन और निर्यात
उत्तर प्रदेश में आम का उत्पादन लगभग 58 लाख मीट्रिक टन है। हालांकि, 2019 में सबसे ज्यादा 841.38 मीट्रिक टन का निर्यात हुआ था, जो कि उत्पादन का केवल 0.015% है। ज्यादातर निर्यात सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, ओमान और मस्कट जैसे खाड़ी देशों में होता है। अमेरिका और यूरोपीय देशों में निर्यात नहीं होता, हालांकि, इसे बढ़ावा देने के लिए कई कोशिशें हुई हैं।
प्रॉजेक्ट का विवरण
केंद्र ने फल और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ राज्यों को पायलट प्रॉजेक्ट दिए हैं। इसी कड़ी में जर्मनी के सहयोग से आम के लिए इंडो-जर्मन कॉरपोरेशन ने एग्रीकल्चर मार्केट डिवेलपमेंट (AMD) प्रॉजेक्ट यूपी सरकार को सौंपा है। इसमें बागवानों को ग्लोबल एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज (GAP) के तहत प्रशिक्षित किया जाएगा। बागवानों को जोड़ने के लिए इसमें एफपीओ इरादा फाउंडेशन का सहयोग लिया गया है।
इरादा फाउंडेशन के डायरेक्टर दया शंकर के अनुसार, इस साल लखनऊ के 10 बागवानों का रजिस्ट्रेशन ग्लोबर गैप नंबर (GGN) के लिए करवाया गया है। इस नंबर से बागवानों और आम का ब्योरा हासिल किया जा सकेगा और यह भी पता चल सकेगा कि उन्होंने गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस अपनाई या नहीं।
यूरोपीय मानकों के अनुसार खेती
इन बागवानों को यूरोप के बाजार के अनुसार आम की फसल तैयार करने के लिए कहा गया है। उन्हें कम से कम और सुरक्षित कीटनाशकों का उपयोग करने की जानकारी दी जा रही है। आम तोड़ने, रखने, धुलाई और सहेजने तक की प्रक्रियाओं की भी जानकारी दी जा रही है।
निर्यात से पहले ट्रीटमेंट की आवश्यकता
यूरोप के देशों में आम के निर्यात से पहले ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। कई यूरोपीय देश वेपर हॉट ट्रीटमेंट (VHT) और इरीडेशन जैसे ट्रीटमेंट की मांग करते हैं। प्रॉजेक्ट में चुने गए किसान उपेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके बागों का निरीक्षण कर लिया गया है और अब तय मानकों के अनुसार ही आम की फसल तैयार करने को कहा गया है।
उप निदेशक कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार डॉ. सुग्रीव शुक्ला कहते हैं कि प्रॉजेक्ट का मुख्य उद्देश्य यह है कि यूरोप के देशों में उत्तर प्रदेश का आम निर्यात हो, जिससे बागवानों को अधिक लाभ मिल सके। यह प्रॉजेक्ट यूपी के आम किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जिससे वे अपनी फसलों का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।