कुछ हादसे इंसान को इंसान का दुशमन बना देते हैं लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके अंदर जीवन में बड़ा दुख झेलने के बाद परोपकार की भावना और बढ़ जाती है. ऐसे परोपकारी लोग यही सोचते हैं कि जैसे उनके साथ हुआ वैसा किसी और के साथ ना हो. खुशी पांडेय भी ऐसे ही परोपकारी लोगों में से हैं. आज वो अपनी कोशिशों से कई लोगों के साथ अप्रत्याशित घटनाएं होने से रोक रही हैं. 

25 दिसंबर 2020 को खुशी के जीवन में दुख पसर गया. इसी रात 23 वर्षीय खुशी ने अपने नाना श्रीनाथ तिवारी को हमेशा के लिए खो दिया. खुशी के नाना जब कोहरे वाली रात में साइकिल से आ रहे थे तब एक कार ने उन्हें  टक्कर मार दी थी. उनकी साइकिल पर रेड लाइट नहीं लगी हुई थी, जिस वजह से कर चालक कोहरे में उन्हें देख नहीं पाया. इस हादसे में खुशी के नाना हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए. 

नाना को खोने के बाद आया दूसरों का ख्याल

इस हादसे के बाद खुशी के जीवन में मातम पसर गया. एक दुख के बाद जहां बहुत से लोगों के मन में नफरत भर जाती है, वहीं खुशी के मन में उन लोगों के प्रति चिंता भर गई, जो उनके नाना की तरह ही बिना लाइट के रात में साइकिल से सफर करते हैं. बस फिर क्या था, इसके बाद उन्होंने लखनऊ की सड़कों पर साइकिल से चलनेवाले लोगों की जान बचाने के लिए रेड लाइट लगाना शुरू कर दिया. अब उनके इस नेक काम की चर्चा सोशल मीडिया पर भी जोर शोर से हो रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार खुशी ये परोपकार का काम पिछले 6 सालों से कर रही हैं. 

खुद को समाज सेविका मानने वाली खुशी ने मीडिया से बताया कि उन्हें हमेशा इस बात का अफसोस रहता है कि उनके नाना श्रीनाथ तिवारी के साथ ऐसा हादसा होने के बाद भी वह एक समाज सेविका होते हुए इस दिशा में नहीं सोच सकीं. लेकिन नाना के साथ हुए ऐसे हादसे के बाद उन्होंने उनकी तरह साइकिल से चलने वाले लोगों की जान बचाने का जिम्मा उठाया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार खुशी अभी तक लखनऊ की सड़कों पर चलने वाले करीब 1500 से ज्यादा लोगों की साइकिल पर रेड लाइट लगा चुकी हैं. वह लखनऊ के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर ये नेक काम कर रही हैं. 

खुशी का कहना है कि जब वह साइकिल सवार लोगों को रोक कर उनकी साइकिल में रेड लाइट लगाती हैं तो लोग कुछ समय के लिए समझ नहीं पाते कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रही हैं. उन्हें लगता है कि खुशी ये लगाने के बदले उनसे पैसे मांगेगी लेकिन जब खुशी लोगों को इसके पीछे की कहानी बताती हैं और उन्हें कहती हैं कि इस रेड लाइट के बदले उन्हें कोई पैसे नहीं देने पड़ेंगे तो लोग उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं.

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