महाराष्ट्र के औरंगाबाद की दो सहेलियों ने गोबर, मिट्टी और प्लास्टिक की बोतलों से इको फ्रेंडली घर बनाया है. इस घर की खासियत यह है कि भीषण गर्मी में भी यह ठंडा रहेगा. इसमें कूलर और एयर कंडीशनर की आवश्यकता नहीं पड़ती है. ये घर सीमेंट से बनने वाले मकानों की तुलना में सस्ते में बन जाते हैं. 

एक स्कूल को देख कर आया आइडिया 

दरअसल, औरंगाबाद की रहने वाली नमिता कपाले और कल्याणी भ्राम्बे ने एक खास घर बनाया है जिसमें 16,000 प्लास्टिक की बोतलें, गोबर और मिट्टी का इस्तेमाल किया गया. इस इको फ्रेंडली मकान को बनाने में 12-13 टन प्लास्टिक की खपत हुई है. 

कबाड़ी वाली कहकर चिढ़ाने लगे थे लोग 

एक समय ऐसा भी आया जब लोग उन्हें कबाड़ वाली (भंगड़) कहकर चिढ़ाना शुरू कर दिया था, लेकिन उन दोनों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. उन्होंने अपना काम जारी रखा. जब नमिता और कल्याणी ने इको फ्रेंडली घर बनाया तब लोगों के सुर बदल गए. जो लोग इन दोनों सहेलियों पर तंज कसते थे, अब वही इनकी सराहना कर रहे हैं. 

घर का नाम दिया ‘वावर’

नमिता और कल्याणी ने अपने इस स्पेशल घर का नाम ‘वावर’ रखा है. जिसका अर्थ होता है खेत या खुली जगह, जहां लोग आ जा सकते हैं.

दोनों ने प्लास्टिक की बोतलों को जमा करने के बाद उनमें से अतिरिक्त हवा निकालकर ढक्कन बंद करके पैक कर दिया. इसके बाद प्लस्टिक की बोतलों की ईंटों को एक के ऊपर एक मिट्टी से जोड़ते चले गए. इसके बाद मिट्टी और गोबर से दीवारों को प्लास्टर किया गया. वहीं इस घर की छत को बांस और लकड़ी से तैयार किया गया है. 

इस घर में दो चौकोर कमरे हैं. एक गोल झोपड़ी है. गर्मी के मौसम में इस घर में एसी की जरूरत नहीं है. वहीं सर्दियों में हीटर की भी आवश्यकता नहीं है. नमिता और कल्याणी का यह घर दौलताबाद के पास सांबाजी में बना गया है. दोनों सहेलियों ने अपनी खुद की 7 लाख रुपए की सेविंग से यह खास घर का निर्माण किया है जिसमें उनके परिवार ने भी कुछ मदद की है. इन दोनों का दावा है कि प्लास्टिक की बोतलें, मिट्टी और गोबर से बने इस घर की लागत ईंट और सीमेंट से आधी आती है. हालांकि इनकी इस कारीगरी की हर कोई प्रशंसा कर रहा है.     

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