भीलवाड़ा जिले के आसींद कस्बे की एक बेटी ने ये बात फिर से सच कर दिखाई है कि अगर आपने कंदर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कैसी भी कठिन परिस्थिति आपका रास्ता नहीं रोक सकती. इस बेटी ने भी कठिन परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी. इसी का नतीजा है कि वो अब डॉक्टर बनेगी.
भीलवाड़ा की बेटी भूमिका ने घर से ही तैयारी कर नीट में बाजी मार ली. अब पश्चिम बंगाल के आरामबाग प्रफुल्ल चंद्र सेन मेडिकल कॉलेज में उनका चयन हुआ है. भूमिका अपनी इस इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता और शिक्षकों को देती हैं. उनकी इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता की जी-तोड़ मेहनत का सबसे बड़ा योगदान है. भूमिका की मां एक मनरेगा श्रमिक हैं. वहीं उनके पिता कचौड़ी की दुकान लगाते हैं. इसके बावजूद दो छोटी बहनों के बीच बड़े संघर्षों के साथ भूमिका ने अपने घर पर रहकर कई घंटों तक पढ़ाई की जिसका फल उसे अब मिला है.
हमेशा से रही पढ़ने में होशियार
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, भूमिका ने बताया कि दो छोटी बहनों की बड़ी बहन होने के चलते उनके ऊपर कई तरह की जिम्मेदारियां थीं. इसके साथ ही घर की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं थी. इन सब हालातों को देखते हुए भूमिका ने मन में ठान लिया था कि उन्हें जिंदगी में कुछ बड़ा करना है. भूमिका को ये पता था कि उनके पास शिक्षा की मात्र ऐसा हथियार है जिसके दम पर वह आगे बढ़ सकती हैं. उन्होंने इसी पर मेहनत की और स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल से 10वीं 93% और 12वीं 95% से अधिक अंक से पास की.
माता पिता ने कभी नहीं किया बेटियों में फर्क
भूमिका की मां सरस्वती नरेगा में मजदूरी करती हैं. वहीं उनके पिता कैलाश कचौड़ी बेच परिवार का भरण-पोषण करते हैं. भूमिका के माता-पिता का कहना है कि अपनी बेटी की इस कामयाबी पर बेहद खुश हैं. उन्होंने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं और वह दोनों तीनों बेटियों को बेटों के समान मानते हैं. उन्होंने हर माता-पिता को ये संदेश दिया कि अगर आपके बेटा नहीं है तो क्या हुआ आपकी बेटी किसी से कम नहीं है. वह भी कुछ कर दिखा सकती है. बस जरूरत है तो बेटी के साथ देने की और पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाने की.