जो लोग विपरीत परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ना जानते हैं वे जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य को भी पाने में सक्षम होते हैं. सुशील सिंह भी एक ऐसा ही उदाहरण हैं. आज सुशील को दुनिया करोड़पति टेक्नोप्रेन्योर और तीन सफल कंपनियों के मालिक के रूप में जानती है. एसएसआर टेकविजन, डीबाको और साइवा सिस्‍टम इंक इनकी कंपनियों में शामिल हैं. लेकिन उनके लिए यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत संघर्ष भरा था. 

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से ताल्‍लुक रखने वाले सुशील सिंह 12वीं में फेल हो गए थे. इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. उनका परिवार भी आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं था कि वह कोई कामधंधा शुरू कर पाते. इसके बावजूद उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से अपने सपनों को साकार किया. मात्र 11,000 रुपये की मंथली सैलरी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले सुशील सिंह की कमाई आज करोड़ों में है. 

उन्‍होंने टेक्नोप्रेन्योर के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. वह तीन प्रॉफिट वाली कंपनियों के साथ ही एक एनजीओ के फाउंडर भी हैं. सुशील का परिवार रोजगार की तलाश में जौनपुर जिले के एक गांव से मुंबई आ गया था. यहां वह डोंबिवली की बस्ती में एक चॉल में रहते थे. उनके पिता एक बैंक में सिक्‍योरिटी गार्ड थे और मां गृहिणी थीं. 

आर्थिक तंगी में बीता बचपन 

सुशील ने कल्याण डोंबिवली नगर निगम द्वारा संचालित एक स्कूल में अपनी 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की. ये स्कूल कम आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए चलाया जाता था, जहां हिंदी-माध्यम में पढ़ाई होती थी. 10वीं क्‍लास तक सुशील का भी स्कूल में खूब मन लगता था. इसके बाद चीजें अचानक तेजी से बदल गईं. पढ़ाई से उनका मन हटने लगा. सुशील 12वीं क्‍लास में आकर फेल हो गए थे. लेकिन, इसके अगले साल उन्‍होंने 12वीं की परीक्षा पास कर ली.

स्कूली शिक्षा के बाद सुशील ने कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. उन्हें अपने मुख्य विषय को सीखने में मजा आ रहा था. लेकिन, उनके प्रोफेसर उन्हें जो पढ़ा रहे थे, उससे उनका मोहभंग होता गया. 2003 में सेकेंड ईयर में उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया. 2015 में पॉलिटेक्निक कोर्स पूरा करने के बाद सुशील एंट्री-लेवल टेलीकॉलर और सेल्स एक्जीक्यूटिव के रूप में एक कंपनी में काम करने लगे. उन्‍हें 11,000 रुपये महीने सैलरी मिलती थी.

शादी के बाद शुरू हुआ सफलता का सफर 

नवंबर 2013 में सुशील पहली बार सरिता रावत सिंह से मिले. उन दिनों वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रही थीं. एक दूसरे को जानने के बाद दोनों ने शादी कर ली. इसके दो वर्षों में उन दोनों ने यूएस-बेस्‍ड बिजनस के सहयोग से नोएडा में बीपीओ शुरू किया. यहीं से एसएसआर टेकविजन की शुरुआत हुई. अमेरिका-बेस्‍ड बिजनस के साथ केवल तीन से चार महीने काम करने के बाद उन्हें नोएडा में एक को-वर्किंग स्‍पेस मिल गया.

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