आमतौर पर लोग गरीबी के आगे घुटने टेक देते हैं. मगर यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले राम प्रकाश ने अपनी किस्मत खुद लिखी और समाज के लिए एक मिसाल बने. राम प्रकाश का जन्म जिले में जमुआ बाजार के एक बेहद आम परिवार में हुआ. परिवार की मदद के लिए उन्हें गांव में हर दिन स्‍कूल के बाद उन्हें बकरियां चराने जाना पड़ता था. जैसे-तैसे उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और 2007 में अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की.

आगे के सफर में राम प्रकाश ने तय किया कि वो यूपीएससी की तैयारी करेंगे. पांच बार राम प्रकाश के हाथ असफलता लगी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पढ़ाई में जुटे रहे. अंतत: छठे प्रयास में वो 162 रैंक के साथ IAS की परीक्षा पास करने में सफल रहे हैं. इस समय वो राजस्‍थान के पाली जिले में CEO जिला परिषद के पद पर तैनात हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.

IAS राम प्रकाश ने सोशल मीडिया पर शेयर की एक याद 

जून 2003: हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे। वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे। अचानक से डाल टूट गई। किसी को चोट तो नही लगी लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे जिससे पता ही ना चले कि डाल टूटी है या नही। 

हाल ही में IAS राम प्रकाश ने अपने जीवन की एक कहानी शेयर करते हुए लिखा, ”जून 2003: हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे. वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे. अचानक से डाल टूट गई. किसी को चोट तो नही लगी. लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे जिससे पता ही ना चले कि डाल टूटी है या नही”. 

7वी कक्षा में पढ़ते हुए जीजी (दादी मां) के साथ बकरी चराने जाया करता था।
एक दिन किसी काम की वजह से जीजी ने बोला तू जा, साथ वाले ग्वाल (चरवाहे) भी होंगे।
मैं उनके साथ खेलने लग गया और बकरियां कहीं चली गई, बाद में सब ढूंढने गए, शुक्र है दबकन (दूसरा गांव) में मिल गई।

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