अथक परिश्रम वह हथियार है जिसके दमपर विपरीत परिस्थितियों से लड़ कर सफलता पाई जा सकती है. मां-बाप खूं पसीना एक कर बच्चों को पढ़ाते हैं. ऐसे में जब बच्चे सफलता पा लेते हैं तो माता-पिता को लगता है उन्हें उनकी मेहनत का फल मिल गया. गांव- गांव में जाकर चूड़ियां बेच अपना परिवार चलाने वाले इस दंपति के बेटे ने भी उन्हें अब उनकी कड़ी मेहनत का फल दिया है.
जलाराम और कमला के बेटे राहुल का चयन CRPF में SI के पद पर हुआ है. राहुल के पिता की बाड़मेर शहर के तिलक बस स्टैंड पर एक छोटी सी मनिहारी की दुकान है और उनकी मां कमला भी अस्पताल के सामने सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर चूड़ियां बेचती हैं. इसी चूड़ियों के काम से दोनों ने अपने बेटे को पढ़ाया और फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराई. राहुल ने भी अपने माता पिता का सपना साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की. अब माता-पिता और बेटे की मेहनत का फल तब सामने आया जब उन्होंने केंद्रीय कर्मचारी संगठन बोर्ड की परीक्षा पास कर ली.
बेटा CRPF में बना SI
जलाराम ने अपने बेटे की सफलता से खुश होते हुए बताया कि विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर उन्होंने बेटे को पढ़ाया. पहले जलाराम टैक्सी चलाते थे. तब राहुल काफी छोटे थे. उससे उनका परिवार सही चल रहा था लेकिन एक सड़क हादसे में उनके हाथ- पांव टूट गए. घर में कमाने वाला कोई नहीं था लेकिन उनकी पत्नी ने मेहनत की और घर का पालन-पोषण किया. उनके एक्सीडेंट क्लेम में दिक्कत आई तो उन्होंने ठान लिया कि अपने बच्चों को पढ़ा- लिखाकर काबिल बनाएंगे. बच्चे को पढ़ाने में उनकी पत्नी ने कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया और आज उन्हीं की बदौलत बेटे का CRPF में SI के पद पर चयन हुआ है. उन्होंने कहा कि उनके घर में आज खुशी के कारण ऐसा माहौल है मानो दीवाली का त्यौहार हो.
अपने समाज का पहला पुलिस वाला
बाड़मेर जिले के छोटे से गांव आदर्श ढूंढा के रहने वाले राहुल ग्वारिया समाज से संबंध रखते हैं. उन्होंने अपने समाज से पहले सब इंस्पेक्टर बनने का गौरव हासिल किया है. राहुल की मां कमला देवी का कहना है कि आज हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, क्योंकि हमारे समाज में शिक्षा को इतना महत्व नहीं देते है. इसलिए यह हमारे लिए एक सपने जैसी खुशी है. इसके साथ ही मैने हमेशा देवी मां से प्रार्थना की और अपनी जरूरतों को कम कर बेटे की पढ़ाई पर पैसा खर्च किया और आज उसके रिजल्ट के बारे में सुनकर मुझे बहुत खुशी हो रही है.
राहुल ने बताया कि तब उनकी उम्र बहुत छोटी थी जब जन उनके पिता का एक्सीडेंट हुआ था. इस हादसे में उनके दोनों पैर फैक्चर हो गए. उसके बाद मां ने संघर्ष कर परिवार को संभाला. उस समय पिता को एक्सीडेंट क्लेम के लिए कोर्ट, पुलिस व चिकित्सा विभाग के चक्कर लगाने पड़े. उनका इतना समय व्यर्थ इस लिए गया क्योंकि वह अनपढ़ थे. यही देख उन्होंने अपने दोनों बेटा-बेटी को पढ़ाने की ठानी.